मंगलवार, 23 दिसंबर 2008

कुछ पुरानी यादे

कुछ पुरानी यादे
टेलिविज़न के वे पुराने दिन भले ही तकनीकी रूप से आज के प्रोग्राम के बराबरी नही कर सके पर उनमे एक ताजगी एक सुकून का अहसास होता था उसके उलट आज २४ घंटो चलने वाले प्रोग्राम सिवाय दिमाग को तनाव ग्रस्त , प्रदूषित करने के आलावा कुछ नही करते



2 टिप्‍पणियां:

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

आपके ब्लॉग में काफी सारा मैटर ओवरलैप हो रहा है, कृपया इसे सुधार लें।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

यादें लिखिए..यादें पढ़ए..यहीं जीवन का आनंद है।
..धन्यवाद।